Friday, May 28, 2010

चंद आशार

दो पल के लिए जरा गोर से सुन लो ये शोर ..
शायद कल बरसात फिर होगी मगर ,यूँ
गूँज उठी धरती जिसकी चीखो से
ऐसा तड़पता हुआ ये बादल ना मिलेगा...

अपनी निस्वार्थ इस ममता कि पावन गोद में
मुझको रो लेने दे माँ तू दो पल लिए ..
मेरे अश्क जमीं पे गिरके रह जायेंगे कल
जो सोख ले सारी पीर मुझे वो आँचल ना मिलेगा...

कोई इल्तजा भी ना बाकी रह जाए
जितना हो सके उतना तडपाइए ...
नम आँखे मिलेंगी बहुत तुमको मगर
मेरे अश्को से तरबदर ये काजल ना मिलेगा..

कोई अरमाँ भी ना बाकी रह जाये
बेझिझक मुझपर हसाँ कीजिये ,
इस नजाकत भरे शहर में ,मेरा दावा है
तुमको कोई मुझ सा पागल ना मिलेगा ...

5 comments:

  1. कोई इल्तजा भी ना बाकी रह जाए
    जितना हो सके उतना तडपाइए ...
    नम आँखे मिलेंगी बहुत तुमको मगर
    मेरे अश्को से तरबदर ये काजल ना मिलेगा....superb

    कोई अरमाँ भी ना बाकी रह जाये
    बेझिझक मुझपर हसाँ कीजिये ,
    इस नजाकत भरे शहर में ,मेरा दावा है
    तुमको कोई मुझ सा पागल ना मिलेगा ... milega...bahut bada milega ye mera dawa hai :-)

    अपनी निस्वार्थ इस ममता कि पावन गोद में
    मुझको रो लेने दे माँ तू दो पल लिए ..
    मेरे अश्क जमीं पे गिरके रह जायेंगे कल
    जो सोख ले सारी पीर मुझे वो आँचल ना मिलेगा.. so sweat


    दो पल के लिए जरा गोर से सुन लो ये शोर ..
    शायद कल बरसात फिर होगी मगर ,यूँ
    गूँज उठी धरती जिसकी चीखो से
    ऐसा तड़पता हुआ ये बादल ना मिलेगा... Fantastic

    ReplyDelete
  2. AnonymousMay 28, 2010

    waah bahut khub....
    behtareen shabdon ke saath khoobsurat rachna.....

    ReplyDelete
  3. wow...great piece...each n evry para is very touching..

    ReplyDelete
  4. BAHUT BAHUT SHUKRIYAA AAP SABHI KA YAHAN TAK AANE OR SARAHNE K LIYE ..THNKU SOO MUCH :)

    ReplyDelete
  5. उत्तम भाव लिए अच्छी रचना....

    ReplyDelete

तुम्हे जिस सच का दावा है  वो झूठा सच भी आधा है  तुम ये मान क्यूँ नहीं लेती  जो अनगढ़ी सी तहरीरें हैं  कोरे मन पर महज़ लकीर...