Sunday, May 24, 2009

मालूम नही इन भावो का मोल क्या है

ऐ जिन्दगी अब और कुछ न मांग हमसे ,
तू सोच के तूने दिया क्या है .....

तेरी उधारी का हम हिसाब रख न पाए
नही मालूम अब तलक हमने जिया क्या है .....

जी रहे है ऐसे , जैसे तेरा उधर चुका रहे है
नही मालूम मूल में तुझसे लिया क्या है ...........

तेरे मैकदे में गम और खुसी की पहचान न कर सके
नही मालूम वक्त के इन पैमानों से हमने पिया क्या है .....

ख़ुद की गुमराहियों में कुछ तलाश जारी है
नही मालूम हमसे खुआ क्या है .............

कुछ जल जल के बुझता रहा सीने में मेरे
नही मालूम था मुझको ये धुआं क्या है ..............

दिल में उमड़ती लहरों से कुछ टकराता रहा.... किनारे का पत्थर बनकर
ये अल्हड सी नादान लहरें
इन्हे फ़िर भी नही मालूम चोट क्या है .............

ये दिल के जज्बात भी कितने बाँवरे होते है
मेरी आँखों के आईने से पूछते है की ओट क्या है ..............

न ख़ुद के रहे हम न किसी के हो पाए
नही मालूम हमें ये हुआ क्या है ........

**ज़माने के लिए संजीदा और बेकसूर हूँ मैं
जो ख़ुद से कर रहे है नही मालूम ..वो दगा क्या है .........

ये पागल दिल मुझसे छुप छुप कर जो किए जा रहा है
नही मालूम वो गुनाह क्या है ................

जो टूटते तारो से माँगा वो कभी मिला नही हमको
जो बिन मांगे मिल रही है
नही मालूम ये दुआ क्या है ........

ऐ मोला ......मेरी ख़ुद की तलाश का बस अंत इतना हो
तारीफ तो कुछ नही अपनी ,मालूम तो चले खोट क्या है .......

ऐ रब्बा.... इस दुनिया में इंसानियत तो बहुत महंगी मिलती है
इस महगाई के दोर में ,मुझे मालूम तो चले
दुनिया में इंसानों का मोल क्या है ........

4 comments:

  1. कुछ जल जल के बुझता रहा सीने में मेरे
    नही मालूम था मुझको ये धुआं क्या है ..............

    sahi me nahi malum ke hua kya hai....akhir es dard ki dwa kya hai.....sunder post...

    ReplyDelete
  2. achchhi kavita hai.......is par ek panti jo maine kahin padhi thi....
    Jindagi kuchh is tarah khamoshiyon se bhar gayin.
    Dhoondhta firta hoon dil ka chain par pata nahin.
    Navnit Nirav

    ReplyDelete
  3. acchi rachna hai.. aap accha likhti hai....ye kavita bahut acchi hai..

    itni acchi rachna ke liye badhai ..............

    meri nayi poem padhiyenga ...
    http://poemsofvijay.blogspot.com

    Regards,

    Vijay

    ReplyDelete
  4. ये दिल के जज्बात भी कितने बाँवरे होते है
    मेरी आँखों के आईने से पूछते है की ओट क्या है ..............

    Waaaaah....poori nazm bahut hi khoobsurat hai. aur oopar likhi panktiyon ke liye to hats offff...
    Bahut hi gehri soch....

    ReplyDelete

तुम्हे जिस सच का दावा है  वो झूठा सच भी आधा है  तुम ये मान क्यूँ नहीं लेती  जो अनगढ़ी सी तहरीरें हैं  कोरे मन पर महज़ लकीर...